चांदनी रात हो
तू मेरे पास हो,
ठंडी सी सबा हो और
करीब अपने चाय हो…
अपने आंगन में बैठे
हो बातचीत शुरू अपनी
चाय की सादगी होठों के संग
रूबरू हो हर एक सांस अपनी…
मै इश्क़ कर बैठा हूं
इस चाय से मेरे यारों
वफ़ा की क्या बात कहूं
हर मुलाकात दिलकश हैं मेरे यारों…
होंठ तरसते है मिलने तुझको
तुम एक मुलाकात में ना मिला करो,
तुम चाय हो कोई बीतता वक्त नहीं
तुम हर मरतबा मुझसे मिला करो…
ज़िन्दगी शौक़ीन है बेहद ही
महंगे है कई शौक़ यहां,
चाय है कुछ इस कदर का शौक़
जिसका जायका आम बात नहीं यहां…

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