हलका हलका धुआ जब
खुशबू लेकर मुस्कराए
समझ लीजिए आप के,
आपकी चाय बनने आएं…
एक प्याला पीने
दिल तड़प जाता है,
सहर हो या हो शब
दिल चाय का प्यासा होता ही है…
ना देर पसंद है आती है
ना इंतज़ार करना है पसंद
जब चाय हो बन रही तब
ठहरा वक्त भी आता नही पसंद…
चाय के दो घूंट
गले से उतरते ही,
हजारों यादें उभर कर आई हैं.
समेटते हुए उन यादों को
हमारी ये चाय ख़तम होने आई है…
महफ़िल में गूंजे भले
जाम का नाम कई दफा
चाय का नशा है अलग
शराब भी फीकी लगती है
चाय के आगे कई दफा…

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