बातों का हो रहा जश्न
यादों को भी बुला लिया जाएं
मय तो नहीं पीनी है
चलो फिर चाय पी जाए…
ना करो इनकार उस
इश्क़ का कभी तुम,
जो कहता है तुमको
आओ चाय पीने चलते है
हम और तुम…
इल्ज़ाम लगे सर नापाक दोस्ती का,
इश्क़ लगे जब बेहद निकम्मा,
निराश है जहन भी, जज्बात भी
तब दिल से आवाज आती है
तुझे चाय पिलाता हूं चल आ…
चलो जाए कहीं
अपना दिल बहलाते है,
क्यों ना, इसकी शुरुआत
चाय से ही करते है…
डूबना जहां पसंद हो
हर एक खारी-बिस्कुट को,
वो चाय है मेरे दोस्त
अपनी अदब लेके बनती है वो…

Related Posts