जिगर से लगते है
कुछ रिश्ते अपने
गिने चुने क्यों ना हो
है सच्चे दोस्त अपने…
हक़ जताना हो तो इश्क़ जता लेता है
साथ निभाना तो मां-बाप निभा लेते है
जब दिल हलका करने की बारी आए
ऐसे हाल मे सिर्फ दोस्त काम आते है…
हर एक शक्स
दोस्ती को ढूंढता है
क्योंकी,
जिंदगी में सच्चा दोस्त
नसीब वालों को ही मिलता है…
मानो तुम एक कहानी को
किस्से अनगिनत दिए है ज़माने को
नाम दिया इश्क का किसीने मगर
वो इश्क निभाया दोस्ती ने ज़मानों…
तू साथ रहना
मेरे संग चलना
इश्क़ भले ही ना सही
मुझे दोस्त चाहिए
तेरे जैसा…

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