ये मुस्कान भी बड़ी कमाल है

इसका जवाब नहीं बेमिसाल है,

क्या खूब जचती है आपको

ये आपको भी और हमे भी पता है…

ये तारीफ भी कभी रुक जाती है

ये सोच के की हम उसके लायक नहीं,

फिर चल पड़ती है उसी शिद्दत से

हम ही होंगे साथ उसके और कोई नहीं…

ये कहानी है अज़ब सी

थोड़ी मदहोश सी थोड़ी कड़क सी,

जैसी भी हो हर कहानी से अलग है

थोड़ी प्यार भरी थोड़ी मुस्कान जैसी…

खिला दू सारे गुल तेरे सामने

खुली कर दू ये बंद जमीन आसमाँ के लिए,

सजा दू महफ़िल तारों की दिन में

राहों में ला दू खुशियों की तकदीर…

कुछ पल है इंतज़ार

फिर है खुशियों की बहार,

आ जाईये फ़िलहाल मिलने के लिए

आपसे ही पल शुरू आपसे ही ख़याल…

Related Posts