तेरा इश्क जिस्म-ए-रूह है
आयत है, इबादत है, सादगी है!
यारी में डूबा हुआ पल है,
जिसकी एक अलग ताजगी है….
तेरी याद मेहेक की तरह,
जो मेरे रूह से जाती नहीं,
तू खामोश ही सही मेरे सामने,
तेरी आँखें!
मुझसे बात किए बिना रहती नहीं…
इन निगाहों का एहसास
मेरी जान! इस दिल को होता है,
तुम मिला करो मुझ से
मिलकर दिल सुकून में होता है….
अदब है कुछ मुझमें,
कुछ बात उसकी छूटी हुई सी,
वरना मुझपर किसी का इश्क!
शायद उसे जायज़ नहीं…
कुछ सादगी हैं छूटी
कुछ इश्क रह गया तुझसे बाकी,
ये नींद ख्वाबों में सोती हुई,
ये रात सुबह तक जागी….