तू मिल मुझे कुछ इस कदर,
पूरी हो मुलाकात रात से सेहर,
ये खुला आसमां फिर बारिश हो घनी,
हम हों जाए क़रीब उसमें भीग कर…
मदहोशी की दवा कहां मिले,
ये बेचैनी तेरी ओर चले,
तू रहें मेरी बाहों में
और हमारी बातें यूहीं चले…
चांदनी की रौशनी,
चांद का चमकना,
तू कली की युवा खुशबू,
मैं तेरी इसी अदा का दीवाना…
जब तू मुस्कुरा के कहती है
कर जा इश्क मुझसे,
लाजमी है तेरा मुझसे ये कहना,
तेरा हक है मेरे यार मुझपे…
तेरे होंठ, तेरी आँखें,
पूछती है मुझको बेइंतहा!
जैसे तेरे हुस्र का
मैं बन गया हूं एक गहना…