जैसे हो वैसे ही रहकर खुद की तलाश करो…

आसान और आरामदायी चीज़ों से परे खुद की तलाश!

जैसे हो वैसे ही रहकर खुद की तलाश करो...

जब तुम खुदकी किसी राह पर नयी तरह से तलाश करते हो तो वो जिंदगी के हिसाब से बिलकुल सही है. जिंदगी असल में खुद में छुपे सच को ढूंढ़ना है. अपना कार्य या मकसद इस इंसानी जन्म में क्या है यही ढूंढने के लिए है. ये सब चीज़े हमारे आसान ज़िंदगी के पॅटर्न से अलग है. जहाँ सब सुखसुविधा जैसी चीज़ें नहीं होती.

सबसे बड़ा लक्ष एक ही है, हमारे मन की शांती और उसको समाधानी कैसे रखे. हमारा एहम ध्येय ज़िंदगी में क्या है वह देखना और उस मकसद के लिए जीना फ़िलहाल यही ज़रूरत है. रिश्तों और चीज़ों के भीतर का ज्यादा लगाव हमे चिंता की और लेके चलता है. उस दौरान हमारे भावनाओँ को ठेस पोहचती है और एक तरह का दबाव आ जाता है के हम ये करे या ना करे.

सफर के दौरान हम अपने भीतर की एक सीढ़ी चढ़ते जाते है. इसके बावजूद दूसरों की भी जो हमारे नजदीकी होते है. जहाँ हम एक समस्या में फस जाते है और वो हमे सोचने पर मजबूर कर देती है. जैसे ये रिश्ता रखना जरुरी है या नहीं. यही सवाल-जवाब वज़ह बनते हमे सोच में डालने के लिए. और यही मानसिक दबाव सबकी जड़ बनता है और हमे फ़िक्र में डाल देता है. साथ ही हम नाराज़ी के राह पर चलने लगते है ज़िंदगी के शुरुवात से ही.

हमारी रूह या हमारा मन शांत कैसे रहे, हमारी बढ़ती तणाव जैसी सोच को कैसे रोके इस पर फ़िलहाल हमे ध्यान देना चाहिए. किसीकी भावनाओँ या किसीके कहने से हमे ज्यादा फर्क नहीं पड़ना चाहिए. हर बार तुम किसीके लिए मौजूद रहो ये तो जरुरी नहीं है. हम कोई भगवान नहीं जो हर किसी की मुराद पूरी करे.

हम इंसान है हम से जितना बनता है उतना ही हम कर पाते है. उस के बाद हम कुछ नहीं कर सकते. तो हर किसीको संभालना बंद कर देना चाहिए. आखिर कर हमारे खुदके परिवार से भी ये इशारे मिल जाते है के तुम खुदको आज़ाद कर के अपने पांव पर चलना सिख लो. हमारी ज़िंदगी हमे ही बनानी है और ये बात कोई नहीं बदल सकता.

@UgtWorld

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