कभी जीकर देखिए ये सुकून की रातें

कर लीजिए कभी इनसे सुकून की बातें

कभी जीकर देखिए ये सुकून की रातें

ऐसी ही इन चंचल रातों पर कई लेखक बहुत कुछ कह चुके हैं, लिख चुके हैं। लेकिन इन सुकून में लिपटी रातों ने आपसे कभी कुछ कहां हैं? बेशक कहा होगा। मदहोश होती है ये रातें, ठंड से तीतर होती है ये रातें।

लोग कहते है के दिन के मुकाबले रातें अक्सर शांत रहती है, लेकिन यारों ये रातें दिन से कही हद तक ज्यादा शोरों से गूंज रही होती है। एक ऐसा शोर जिसमें आवाजें नही होती, होती है तो सिर्फ हवाएं जो हर पल दिल में महफ़िल जमाकर दिल का बंजर दामन छू जाती है।

मगर ये हसीन रातें आजकल चुप सी हो गयी है, शायद उन रातों से बात करने वाला अब कोई नही। माना कि दिन की थकान से लोग थक जाते हैं लेकिन यारों एक बार इन तारों तले वक्त गुजार कर देखो, रात से बातें करके देखो, वो रात बातों बातों में दिन से भी ज्यादा थका देंगी लेकिन ये थकान आपको महसूस नही होगी।

कभी जीकर देखिए ये सुकून की रातें

चलो एक औ तार भी छेड़ ही देते हैं… नशा होता है इन रातों में। कही सुकून का नशा तो कही मोहब्बत का। इस मोहब्बत के सुकून में कई आशिक दिल से आशिकी जताते हैं। अरे यारों आशिक़ी जताने के लिए कभी अपने प्यार के साथ एक बार ही सही अकेले में टूटते तारें गिन कर देखो, प्यार शब्द का मतलब जान से भी ज्यादा जी पाओगे। आखिर लेखक शैलेंद्र कह ही चुके है…

ये क्या बात है आज की चाँदनी में
के हम खो गये प्यार की रागिनी में
ये बाहों में बाहें
ये बहकी निगाहें
लो आने लगा जिंदगी का मज़ा
ये रातें ये मौसम नदी का किनारा
ये चंचल हवा।

-शायAr

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