दिवाली – त्योहार और धमाल…

दिवाली अपना त्योहार है, जश्न तो मनाएंगे ही!

दिवाली - त्योहार और धमाल...

कौन कहता है, दिवाली में मजा नहीं आता. सच कहे तो फिलहाल हालात थोड़ेसे ऊपरनीचे है. मगर कोई भी वक़्त कभी भी हमेशा के लिए नहीं रहता. इस उदासी को दूर करते हुए त्योहार की तरफ चलते है. वैसे तो सब ही उत्सुक रहते है. जिसको जैसे हो वो उसी तरह से उस त्योहार की तैयारी करता है. नए कपड़े, घर में बनाया जाने वाली मिठाई, दिए जलाने की परंपरा और पटाखे. इन में सब ही रहता है दिवाली के दिनों में.

मगर इन सब में जरूरी चीजें भी मिलती है. जैसे के प्रेम, आनंद, उत्साह और अपनों से नजदीकी. परिवार में पहचान कितनी भी पुरानी क्यों ना हो, फिर भी उसे नयी पहचान नए पल दे जाते है. साथ में बिताया हुआ वक़्त वो भी काफी अलग होता है ऐसा नहीं! मगर उस पल वो वक़्त अलग सा लगता है. जिसकी ख़ुशी में शामिल सब होते है. फिर घर की साफ सफाई से लेकर, घर में क्या क्या लाना है और क्या बाकि है इसकी लिस्ट बनाई जाती है.

ये त्योहार सब मनाते है. इसको किसी जातपात का कोई बंधन या नहीं ना ही कोई सिमा. आजकल के दौर में परदेस में भी इस त्योहार की जल्लोष से तैयारी की जाती है. पारंपरिक पोशाख से स्त्री के श्रृंगार तक सब कुछ देखने लायक होता है. सज धज के घूमने का मजा ही कुछ और है. कुछ लोगों की दिवाली दोस्तों के यहाँ तो कुछ लोग अपने ससुराल में. मतलब दोनों तरफ से समझो. सिर्फ लड़की शादी करती है तो उसका ही ससुराल नहीं, उसी के साथ जमाई बनकर जाते वक़्त भी लड़को का वो ससुराल ही तो है.

पटाखे रह गए ना! वो कैसे भूलूंगा मैं. मैं क्या हम से कोई भी नहीं भूल सकता. फिर वो बचपन हो या फिर बढ़ती उम्र. हर एक के पास एक ना एक अतरंगी किस्सा होगा ही. इसमें कोई शक नहीं. त्यौहार कौनसा भी हो अपने लोग अपने पास होना बहोत ज़रूरी है. ज़िंदगी की कड़ी धुप में यहीं लोग छाँव बन कर हमारी हिफाजत करने से मना नहीं करते. हमारी सबकी दिवाली अच्छी ही जाए यही उम्मीद और ढ़ेर सारी शुभ कामनाए.

@UgtWorld



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