कश्ती
@UgtWorld
मन चला कहीं दूर अलग जहाँ में
आसमाँ के करीब एक बहती लहर पे
ख्वाबों की कश्ती उस पर सवार
राह देके वो खुश – हाल
चले जब वो साहिल की खोज में
कितने तूफ़ान आये बादलों को चीरते
मगर कश्ती ना रुकी
बहती गयी उसी रफ़्तार से
जो थामी थी करने अपने
इरादे इस दुनिया के पार…
आवाज़
@UgtWorld
ऐब होंगे बेशक कई सारे
खामियाँ भी दिखेंगी कई
ये रूह है तजुर्बे की
कसम से, ये बाज़ी है दिल की
सफर का किस्सा है होंठों पर
मुसाफिर बने है हम और तुम
ये सितारों से भरा आसमां ही सही
गुफ्तगू कर रही है गुज़ारिश भी
अब मुद्दा है बातों का कैसे होंगी वो बयां
ये दिल जो मसरूफ है खुद
शायद किसीने दिल से दी आवाज़…
चाय
@UgtWorld
तू कली सही पत्तों की
एक फूल बन गयी हो
खुशबू और महक को
साथ लेके घूमती हो
तिखी जुबाँ हो कभी,
कभी मिठास बाटती हो
तेरे दूध जैसे रंग के बहकावे में आना
मानो शक्कर का पानी में घुलना हो
अब इससे ज्यादा क्या कहूँ
बस अब तुम चाय जैसी हो गयी हो…