हिंदी कविताएँ

सोच की कहानी

सोच डूबी है सोच में उसका खयाल कौन करे
मायूस बैठी है किसी कोने में
कोई गले लगाले, इसी उम्मीद में
सेहमी सी बातें है उसकी डरा डरा सा मन है
सोचती है कोई नहीं यहाँ
अकेलेपन के अपने ही वेहम में
एहसास आया करीब उसके
गले लगाया कर लिया पास अपने
ज़रासी मुस्कान खिली सोच की
फ़िलहाल वो खुश है एहसास की बाँहों में….

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बात

राह की ये सीमा ही कुछ काम आई
कुछ अल्फ़ाज़ रूठे कुछ दुआ काम आई
बस एक बात ठहर गई दिल में
उस वक्त रात थी यह सुबह होने आई..
मगरुर था अपने कारनामे लिखने में
बड़ी बेताबी थी इस छोटेसे सीने में
ये असर था उस पैगाम के आनेका
बस मिल गए अल्फाज़ और कयामत ही आई..
और कुछ तो बाकी ना रहा होगा
रहा भी तो हमने देखा नहीं होगा
उस चीज़ की फ़िक्र हम क्यों करे
जब बात सामने से ही निकल आई…

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हिंदी कविताएँ

पल

चंद लम्हें है यार
नाराजगी किस काम की,
तू क्या! मै क्या एक ही बात है
फिर ये बात ना करने को मांग क्यों थी..
चलो रहने दो ये बात
आओ फिरसे बात करते है
तुम मुस्कुराओ जरासा
नए सिरे से फिर मुलाकात करते है..
मिल लेना गले आहिस्ता, सुकून से
शिकायत ना करना फिर किसी मोड़ पे
वक्त दे रहा हूं तुमको तुम्हारे लिए रखा हुआ,
पूरा जीलो साथ इस पल
जो पल है हमारे लिए सजा हुआ…

@UgtWorld