कहीं घूम आता हूँ

कहीं सैर कर आऊं, कहकशाँ में घूम लूँ

खुले आसमाँ से बातचीत

तो किसी किनारे से मुलाकात

लहरों को गले लगा लूँ
इन हवाओं पे सवार हो जाऊँ

ऐसे मेरे सफर पर, ना जाने कौनसे रंग भर जाऊँ

खुली सी बेचैनी हो, इरादा उसका कमज़ोर सा

दिल में ना ख़याल कोई

अपनापन भर खाली दिल अपना

चलो किसी फुरसत से निकलूँ

मुसाफिर बनके अपने मंज़िलों से रूबरू हो लूँ
ये करवटे बदलती रहेंगी, ज़हन मचलता रहेगा

अब खामोश इस सब बातों को

मेरा सफर पर निकलना ही करेगा

इस वक़्त मसरूफ हूँ उसी सफर में

देख रहा हूँ मुड़के शायद कोई

और भी आ रहा हैं इसमें जुड़ने…

@UgtWorld

रास्तें

सारे रास्तों को नाप कर चल रहा था,

मगर कुछ मोड़ ऐसे आते है रास्ता ही बदल देते है

जहाँ नहीं जाना हो वही ले चलता है रास्ता

और तो और मुश्किलें बढ़ा देते है
अलग मंजिल तक पोहचना आसान नहीं

ये सुनते थक गया हूँ मै

मेरी मंज़िल का असर मुझ पर होता है

मेरी गिद्दत और बढ़ जाती है

इस बात को सुनकर और मजा आता है

मेरे ज़हन को ऐसा होते सुनकर उसे

सिर्फ सोचना होता है क्या करे, क्या ना करे

कर भी रहा हो कुछ, तब भी तकलीफ देगा

बहाने बनाएगा, ना जाने कितने सारे

और बोलेगा भी क्या करेगा अब तू

तू तो अब अटक गया यहाँ पर,

निकलना कैसे है बता तो दे,

मै खुद बहक गया हूँ यहाँ पर…

@UgtWorld

तो क्या होगा

एक अल्फ़ाज़ से इतनी खुशी मिली हमे
सोचो बात करोगे तो क्या होगा
मुलाकात से इतनी राहत मिलती है हमे
सोचा साथ रहोगे तो क्या होगा
बस हाथ मिलाने से बढ़ती है बेकरारी
सोचो गले लगोगे तो क्या होगा
बाँहों में लेते हो तो खो जाते है आप में
सोचो हर रोज ऐसा हो तो क्या होगा….

@UgtWorld