कल्पना जो असलियत का आइना हो सकती है!

असलियत जो हमेशा कल्पना से जुडी होती है…

जब जब कल्पना असलियत से अलग लगने लगती है तब तुम उस वास्तविकता या फिर उस सत्यता से दूर नहीं जो सत्य तुम्हे स्वीकार करना है. जो लिखा है उसका अर्थ थोडासा उलझन में डालने जैसा है. कल्पना जो शायद असलियत का आयना हो सकती है.

ये ऐसे भी दर्शाता है के असलियत के बारे हमारी विचारधारा कितनी उलझी हुई है. इसके अलावा कल्पना में रहना आसान होता है. मगर एक चीज़ हम भूल जाते है, कल्पना कभी ना कभी असलियत में आ ही जाती है. बेशक उसको वक़्त और धैर्य दोनों लगते है.

एक वक़्त वही बार-बार सोचने से वो हो भी जाता है. वो हम कैसे करेंगे और उसे हम कैसे हासिल करे. सब कुछ हमारी मानसिकता पर निर्भर है. जिसका फैसला हमारा ज़हन करता है. हमारे जहन और हमारी बुद्धी के विचार करने पर वो निर्णय होता है. असलियत बदलना हो तो हमारी कल्पना बदलनी जरुरी है.

@UgtWorld