क्या वो हमें संभालने वाले है?

कुछ चाहिए नहीं चाहिए क्या ये देखने वाले है?

जिंदगी में एक वक़्त ऐसे आता है, “मुझे कुछ नहीं चाहिए” हम इस बात तक आ जाते है. जो फ़िलहाल तो सही नहीं है. अगर सच में हमें कुछ करना है तो हम अपने ताकत की मर्यादा को लाँघ कर उसे पा सकते है. हर चीज उसके अच्छे बुरे वक़्त पर ही होती है. जिस से हमें अंदाज़ा हो अगला कदम हमारा क्या हो.

ये चीजें भी निकल जाएंगी, सभी चीज़े हमारे पास रख कर भी मतलब क्या है. उस जगह से निकल जाना ही बेहतर है जो बहोत तकलीफ दे या फिर ज़रूरी नहीं. फिर चाहे वो खुद का घर हो, दोस्ती हो या फिर प्यार. बाहर समाज में अनगिनत लोग है जो इसी समाज से परेशान है. समाज के बर्ताव और बातचीत से. क्यों इतनी तकलीफ इस बात से होनी चाहिए!

क्या वो हमें संभालने वाले है? कुछ चाहिए नहीं चाहिए क्या ये देखने वाले है? बिलकुल नहीं. इन में से तो कुछ भी नहीं करने वाले इतना तो तय है. क्योंकि हर एक को अपनी अपनी परेशानी होती है. फिर क्यों दूसरों की जिंदगी में झाकना चाहिए. और परेशानी को और बढ़ाना चाहिए. हमारा इन सबसे बाहर निकलना ही बेहतर है.

@UgtWorld