आधी अधूरी ख्वाहिशें…

कुछ ख्वाहिशें जिंदगी की!

मिर्जा ग़ालिब का शेर जो है “हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी के हर ख्वाहिश पे दिल निकले, बहोत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले!” कुछ इसी तरह की उमंगें हम दिल में लिए घूमते है. कितने सारे ख्वाब देखते है, उन्हें चाहते भी है. मगर अफ़सोस सभी पुरे नहीं होते. हां! कुछ हो जाते है. आधी अधूरी ख्वाहिशें जो दिल में बसी होती है.

अब भी जब आप पढ़ रहे हो, आपके ज़हन में वो बातें आनी शुरू भी हो गयी होंगी. अपनी कल्पना शक्ति को कौन रोक सकता है भला. वहाँ तो बस अपना ही चलता है. जो मर्जी चाहे बनो, जो मन चाहे करो. वहाँ हो जाती है हमारी वो सारी अधूरी ख्वाहिशें पूरी. इसका मतलब ये नहीं असल जिंदगी में नहीं होती. होती है पर देर लगती है. कल ही कही पढ़ा मैंने “वक़्त आता सबका है मगर वक़्त लगता है!”

मायूस हो भी जाओ तोई कोई दिक्कत नहीं. उस मायूसी के घेरे में फसे रहो तो शायद दिक्कत हो सकती है. ख्वाब है वो! ख्वाहिशें है, आसानी से मिलती तो हम इतनी नायाब ख़ुशी नहीं ले पातें. जो चीज अधूरी हो वो पूरी हमेशा होती है, सिर्फ उसका जरिया अलग हो जाता है. यकीन रखा करो अपने आप पर. शिद्द्त से सब हो जाता है.

@UgtWorld