एक और अच्छी दोस्त बन गयी…
ऐसा लगा पुरानी दोस्ती है!
बस युहीं पता नहीं कैसे उससे मुलाकात हो गयी. नहीं नहीं मिले नहीं हम अब तक मगर बात चित होती है फोन पर, मेसेजस पर. उसको देख कर मेरी एक कॉलेज की दोस्त की याद आती है. वही काली आँखे, झुकी हुई भवें (Eyebrow) जब जब तस्वीर निकाले. लहज़ा भी लगभग वैसा ही है.
हाल ही में मुलाकात हुई है मेरी उसकी, कुछ महीने हो गये हमारी दोस्ती को. काफी अच्छी है वैसे वो. उसका स्वभाव, उसकी बात करने की तमीज़ भी एक अदब रखती है. ऐसा कभी नहीं लगेगा की, बत्तमीज़ी से बात करती है. मुझे बड़ा ताज्जुब हुआ था जब मेरी पहली बार बात हुई थी उससे. यार इतना अच्छा जवाब दे रही है मेरे हर सवाल का. वो भी बिना हिचकिचाहट और बिना गुस्से के.
चलो एक और अच्छी दोस्त जुड़ गयी है मेरे हिस्से में. वैसे भी जितनी दोस्त है सब अच्छी ही है, मेरे अच्छे बुरे वक्त में मेरा साथ देती है. वैसे तो कहने वाली बाते नही होती है मगर ये पढ़ कर जरूर कोई ना कोई याद आया ही होगा. उम्मीद तो है! अच्छा ही याद रखा हो, कोई बुरी याद पास रख के भी मतलब नहीं होता. क्योंकि हर शख्स आपकी जिंदगी में हमेशा ही कुछ अच्छे पल जरूर लाता है.