गलतफैमी जितनी जल्द ख़त्म कर सकते हो करो, रिश्ते टूटते देर नहीं लगती
सोचना और समझना दोनों अलग है, ये अक्सर उस हालात पे निर्भर करता है
कितनी भी ताकत लगालो, अगर चाह ना हुई तो कुछ भी ढंग से नहीं होता
मंज़िल की राह पर साथ नहीं मिलता मनचाहा मगर कुछ हमसफर आखिर तक साथ होते है
ज़हन दुखाके किस हद तक तकलीफ होती है सामनेवाले को ये कौन कैसे बताए, यहाँ हर कोई आपका अच्छा नहीं चाहता