ज़हन में ज्यादा देर तक गुस्सा या नफरत नहीं होनी चाहिए, क्योंकी सबसे बड़ी तकलीफ हमे ही होती है
माफ़ योग्यता और दिल देखके किया जाता है, जहाँ माफ़ी नहीं वहाँ रिश्ता ख़त्म हो चूका होता है
ज़हन में दबे हुए लफ्ज़ अगर आसानी से जुबाँ पर आते तो कितना आसान था, ये बात सोचकर ना जाने कितने लोग खामोश हो जाते है
अनबन दूर करना आना चाहिए, एक गलती और रिश्ता दाव पर लग सकता है
बिना बात किये दूरी बढ़ाने से अच्छा है, बात करके नजदीकी बढ़ाना हमेशा अच्छा होता है