सोच में डुबो या किसी के कर्ज में

बात तो एक ही है

ब्याज भरना पड़ता है

दोनों जगह पर पूरे तरीके से

अच्छी तालीम दी है

एहसासों ने हमको

रियाज बखूबी नायाब है हमारा

मांगा नही साथ भले ही

छोड़ दिया मगर आसानी से

क्या खूब रिश्ते कमाए है मैंने

इस भरी जवानी में

है फिकर कुछ और

मतलब कहा समझाऊ अब

ये मसला है सामने

इस को क्या बतलाऊ अब

ए वादा-ए-सुख

तेरा रुख मोड़ दे मेरी ओर

मैं थक गया हूं

जिंदगी का कर्ज चुकाते


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