मैं नापसंद तो नही करता कुछ
अपने बारे में कभी
बस अल्फाज अपनी दादागिरी
कम नही करते मेरे बारे में
तेरा ये मिजाज
किस तरीके का है
वक्त हैरत में है
ये मेरे पहले कैसे बदलता है
मेरी चालाकी हर एक शख्सियत पर
चलती है समज लेना
जो अच्छा सो अच्छा, जो नही
वो दिल दिमाग से बाहर समज लेना
याद कर रहा है तू अपनी उस चीज को
जिस से कभी तू दूर
जाएगा ये सोचा था क्या?
वो हो गया है अब हकीकत में
ऐसा होगा ये सपने में भी सोचा था क्या?
भाग जाना चाहता हूं
फिलहाल यहां से दूर
सर भी सोच से फट रहा है
या बोझ नहीं चाहिए मुझे