चले जाना है बहोत दूर
इस घर से इस उम्र से
नही रह सकता अब

सहन नही होता अब मुझसे
शायद कही और रह पाऊं

इन सबसे दूर अपनी दुनिया में

हद होती है हर चीज को

यहां तो हदें भी हदों से लड़ती है
तकलीफ तो बिन बात बदनाम है
असल चीज तो सोच पैदा करती है

अगर है नाराज तू मुझसे
तो बात भी क्यों करनी चाहिए
सिर्फ हटा दिया है दिल से कहा था ना
फिर अब फर्क भी नही पड़ना चाहिए

सुनते कान मेरे हर तरह का गीत

नही रोक पाता खुदको करने ऐसा कभी
राबता हो शायद उनका मुझसे
या फिर दूर भागते होंगे खुद से ही

तकाजा भी नही

इल्तिजा भी nhi

जो है सिर्फ सौदा है
इसके सिवा कुछ भी नही


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