दिलासा, झुटी आस
सिर्फ सबब है असलियत छुपाने की
सच्चाई से बेहतर कोई सुकून नहीयही हकीकत है जिंदगानी की
मैं कह उठता हूं
रोम रोम से
जज्बात गुम है
अपने ही आप में
आजकल मुस्कान गुम है
तेरे चेहरे से
वो वक्त से खफा है
या किसी से बैर बाकी है
रहते गुजरते वक्त के साथ
बेफिक्र खयालों के पास
उल्फत के जिंदगी को
फलसफा मिला
कही दोस्ती का कारवां
कही अकेलापन मिला