साथ छूट गया
ऐन वक्त पर
जब जरूरत थी
कोई भी ना था
है एक मजबूरी मेरे पास
सर नीचे झुका हुआ मन मायूस हुआ
समझू क्या? समझाऊं क्या?जिंदगी का सफर बिखरा हुआ
कब किसका मिजाज
बिगड़ जाए कोई ना जाने
हमे तो अब बात
करने से डर लगता है
दीवानेपन का असर
कुछ यूं उतरगया जैसे लफ्जों से
मायने निकल जाए
देख मेरे कुछ आंसू
जो निकले भी आंखों से
भर आए थे वो बहने को
ना जाने कहा रुक गए