इक दिन आराम है,

अगले पल वही पुराना काम है,

ये जिदंगी है मेरे दोस्त,

यहां पल दो पल के सब मेहमान है…

मामूली सी बात है,

दिल का दुःखी हो जाना,

आजकल हर इक लम्हा,

खंजर लेकर जो गुजरता है….

खत्म भी नही होते ये ख़्वाब,

ना किस्से हकीकत के यहां पर,

बस फैला हैं कारवां कोहरे का!

हर इक मोड़, हर एक जिस्म पर…

कहते है दुआ मांगो लोग मुझसे,

दिल का पाकीजा होना भी आम बात नही,

किसी की खुशी अपने से हो,

इस से बढ़कर कोई और बात नही…

नींद की बूंद अब आलस से मिल गई,

उतर आई है रूह में,

ये परेशानी भरा मसला

अब खत्म होना चाहिए जल्द से…


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