
जिनका ना होना
ज्यादा बेहतर होता है
हर बार नासमझ सी
बरताव सबसे घिनौना रहता है…

किसी रुख पर मुड़ने को
ये तहलका छाया है
किस ओर मुड़ेगी वो…

मेरा इस वक्त यहां
ना चाहिए कोई
मेरे लिए यहां…

भीतर मेरे ये रूह की
चिंगारी भी तड़प उठी है
किसी एहसास के गूंज की…

मैं रहूंगा उसकी फ़िराक़ में
अब पड़ रहे है सवाल कई
पता नहीं क्या मिलेगा जवाब में…