क्यूं होते है खून के रिश्ते
जिनका ना होना
ज्यादा बेहतर होता है
हर बार नासमझ सी
बरताव सबसे घिनौना रहता है…

राह थमी होगी
किसी रुख पर मुड़ने को
ये तहलका छाया है
किस ओर मुड़ेगी वो…

ना कोई है
मेरा इस वक्त यहां
ना चाहिए कोई
मेरे लिए यहां…

एक आग सी जली है
भीतर मेरे ये रूह की
चिंगारी भी तड़प उठी है
किसी एहसास के गूंज की…

दौर बदलेगा, वक्त भी
मैं रहूंगा उसकी फ़िराक़ में
अब पड़ रहे है सवाल कई
पता नहीं क्या मिलेगा जवाब में…


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