ढूंढ रहा हूँ खुद को
तहे दिल-ओ-ज -जान से
मगर खयालात आगे
बढ़ने नही देते मुझे…

सोच के परख ले
ये कौन कहेगा
वहीं कहेगा जो
धोके से वाकिफ रहेगा…

बेफिकर वक्त है जब
सफ़र भी अजब गजब होगा
जो लोग मिलते है राहों में
उनसे राबता भी कुछ अलग होगा…

बहो तुम पानी सा एक तरफा
आग तो बस धुँआ हो जाती है
बर्बाद तो दोनों भी करते है एक मोड़ पर
किसी एक के साथ तकदीर
ज़रूर बदल जाती है…

बड़ी नादान है
कमबख्त हिचकियां भी
बिना नाम बताए
जाती भी नहीं…


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