बुनियाद बनाई है बेखौंफ
बेफीकर से खयालों ने
अपनी मंजिल की फिकर में
अपने इरादों से राबता बनाने
जिंदगी है किताब
हर पन्ना है नया
लिख लो अपना मक़सद उसपर
हर पन्ना लाता है किस्सा नया
किस तरह से बदले
हालात इस जहन के
जिस भी तरह है बदले
वो बदले है भरोसे के…
कीमती है वक्त मंजिल
की और चलने का,
ज़ेहन में कहकशा बनती है
खुमार चढ़ता है मंजर पाने का…
कहता हूं बड़ी बातें खुदसे
जहन भी चुप है यहां
लफ्ज़ पड़ रहे है भारी मुझपर
लिख देता है शायरी बेवजह…

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