हो खुदगर्ज जरासा
भाप सबकी नीयत
ना कोई किसीका सब
है सबकी सिर्फ जरूरत…
सबब ही सबब मिलेगी
तुमको यहां, गौर करना
असल जज़्बात बिका नहीं करते
जज़्बातों के बाज़ार में…
राहतें मिलती नहीं किश्तों में
संभाले रखना पड़ता है जज़्बातों में
यूंही नहीं कहते खयाल रखने
दुख दूर नहीं रहता अपने ख़यालो …
कहने को बहोत साथ है
रह गए खाली हाथ है
अकेलेपन की डोर पकड़े
खुदको ढूंढे खाली ख्वाब है..
कल क्या हो ये डर है मन मे
वेहेम तक ठीक है
हक़ीक़त ना हो तो बेहतर है….