लिखाई की खोज में

दुनिया टेहलनी पड़ती है

थोड़ा तजुर्बा, थोड़ा एहसास और

दिल की पुकार भी सुननी पड़ती है..

कहा गुम थी वो महफ़िल

जहां अक्सर वादियां बदलती थी,

आएगी वो रौनक फिर से यहीं

जहा से वो शुरू हुई थी..

इस हाथ को ऐसेही बरकरार रखना

ना किसी की कमी ना इनकार रखना,

खुशियों का पिटारा हो आप

बस खुश रहना और मुस्कुराहट रखना…

हो ना हो ये यक़ीन

मजाक है या है चीज़ नमकीन,

बस इस लिया करो सुनके इसे

और खुश हो जाओ कर दो माहौल हसीन….

अपने आप को अभी से खास समझिएगा

पहले से हो और बनिएगा,

बड़ा मजा आएगा आपको

इस बात पर जरा गौर कीजिएगा…

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