अब तलक सोच में था
आगे चल बिखर गया,
मेरी उम्मीद उभर आई
ये हादसा अब हो चला…
सोचने मे मजबूर मैं
वो खेल ज़िंदगी से खेलते हुए,
मैं दौड़ में हूँ अब तो
कई सारे तजुर्बे झेलते हुए…
एक अदब दिल में
एक राहत नज़र में,
कहना तो है सबकुछ
मगर सब है जहन में…
ख़यालों के चलते मेरे
मुझे चैन नहीं मिलता,
ये दरकार नहीं मेरे दिल की
ये सवाल मुझे नहीं चलता..
एक आखरी बार तहलका
मचाना है मुझको!
आगे चल कर कोई भी
पछतावा नहीं रखना मुझको…