महकता हूँ अब
उस धूप की तरह
ये आस बढ़ती जा रही है
किसी भूक की तरह..
हो जाएगा सफर ये आसान
चाहे हो असफल रास्ता
डर हो तो उसे हटा देना
राह निकाल के चल देना…
वक़्त है थोड़ा मसरूफ
वक़्त ही आजाद करेगा
ये गुफ्तगू जो होगी
वही बवाल करेगा…
फिक्र की बात क्यूँ करे यारों
फिक्र हमसे मोहब्बत करती है
नींद तो उड़ा ही देती है और
खुद भी परेशान रहती है.
कहर है वक्त का
या असर परेशानी का
नफ़रत की लौ ना
बढ़े कभी
कोशिश है यही हर दफा…

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