हरकत हुई है मन के किसी कोने में
बवाल होने वाला है
मसला हल होने को था या
फिर से शुरू होने वाला है…
राह थमी होगी
किसी रुख पर मुड़ने को
ये तहलका छाया है
किस ओर मुड़ेगी वो..
ना कोई है
मेरा इस वक्त यहां
ना चाहिए कोई
मेरे लिए यहां.
डर जो है जहन में
उसे हटाना होगा इस वक्त
भरोसा खुद पे रख के
मकाम पाना होगा अब…
एक आग सी जली है
भीतर मेरे ये रूह की
चिंगारी भी तड़प उठी है
किसी एहसास के गूंज की…

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