दौर बदलेगा, वक्त भी
मैं रहूंगा उसकी फ़िराक़ में
अब पड़ रहे है सवाल कई
पता नहीं क्या मिलेगा जवाब में…
ढूंढ रहा हूँ खुद को
तहे दिल-ओ-जान से
मगर खयालात आगे
बढ़ने नही देते मुझे.
सारी परेशान बातों का
एक शेर अर्ज हो
दाद के बजाय उस पर
मरहम का शोर हो…
सोच के परख ले
ये कौन कहेगा
वहीं कहेगा जो
धोके से वाकिफ रहेगा…
बेफिकर वक्त है जब
सफ़र भी अजब गजब होगा
जो लोग मिलते है राहों में
उनसे राबता भी कुछ अलग होगा

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