सच मे ‘लव जिहाद’ या फिर कुछ और?

‘लव जिहाद’ एक सकंल्पना या बुरी हकीकत!

सच मे लव जिहाद या फिर कुछ और?

भले ही भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है,लेकिन हम अपने देश पर बने हुए धार्मिक प्रभाव को नजरअंदाज नहीं कर सकते। भारत के संविधान ने प्रत्येक भारतीय नागरिक को कुछ मौलिक अधिकार दिए हैं, जिसमें प्रत्येक समझदार नागरिक को ‘धर्म की स्वतंत्रता’ का अधिकार है। फिलहाल धार्मिक विवादों को लेकर काफी खबरें सुनने को मिल रही हैं। लेकिन क्या वास्तविक संघर्षों का एकमात्र कारण धार्मिक मतभेद हैं? ‘लव जिहाद’ संकल्पना या कुछ और?

अपराधों के लिए कोई भी धर्म जिम्मेदार नहीं हो सकता। धर्म मनुष्य के लिए बना है, मनुष्य धर्म के लिए नहीं। सभी को अपने धर्म और विश्वास को बनाए रखने का अधिकार है, लेकिन उसके लिए दूसरों पर अत्याचार करना किसी भी धर्म की शिक्षा नहीं हो सकती, यह एक मानवीय विकृति है और इसे हर सामाजिक वर्ग में कहीं न कहीं देखा जा सकता है। पिछले कुछ हफ्तों से महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश इन दो राज्यों में ‘लव जिहाद’ के विषय पर कई बहसें चल रही हैं। लेकिन वास्तव में ‘लव जिहाद’ क्या है? यह शब्द वास्तव में कहाँ से आया है? और यह जानना आवश्यक है कि क्या वास्तव में हो रही घटनाएं लव जिहाद हैं, या इस बढ़ी हुई स्थिति के पीछे कुछ और कारण हैं।

‘लव जिहाद’ का मतलब है हिंदू या अन्य धर्म की लड़कियों को बहला-फुसलाकर झूठे प्यार में फंसाना और उन्हें धोखे से या अपहरण कर शादी के बाद इस्लाम कबूल करने के लिए मजबूर करना।’लव जिहाद’ या ‘रोमियो जिहाद’ के रूप में भी जाना जाता है। यह संकल्पनाने पहली बार 2009 में केरल और कर्नाटक में हुई घटनाओं के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया था। उस वक्त एक पुलिस अधिकारी ने एक रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें कहा गया था, ‘केरल में एक ऐसा संगठन है, जो प्यार के बहाने हिंदू लड़कियों को इस्लाम कबूल करने के लिए मजबूर करता है।’ रिपोर्ट को तत्कालीन न्यायाधीश ने स्वीकार कर यह निष्कर्ष निकाला कि लव जिहाद ‘जबरन’ धर्मांतरण का संकेत है। इस मुद्दे को तब केरल और कर्नाटक के राजनेताओं ने उठाया और यह मामला जंगल की आग की तरह फैलता गया।

सच मे लव जिहाद या फिर कुछ और?

दो महीने पहले अमरावती (महाराष्ट्र) में हुई एक घटना ने माहौल गर्म कर दिया था। लड़की के ‘माता-पिता’ के मुताबिक, उनकी ‘उच्च शिक्षित’ बेटी का प्यार के बहाने एक मुस्लिम लड़के ने ‘अपहरण’ कर लिया और शादी के लिए ‘मजबूर’ किया। तब तक लड़की को लड़के की जाति और धर्म का कोई भी पता नहीं चला। जब लड़की शादी के बाद घरवालों से मिलने वापस आई तो यह घटना सामने आई। इसलिए, इस घटना के खिलाफ हिंदुत्ववादी लोगों ने आवाज़ उठाया और कहा कि यह घटना एक लव जिहाद से संबंधित है।

हमारे आसपास ऐसी घटनाओं का प्रमाण बढ़ता जा रहा है । लड़कियों के साथ होने वाली ये घटनाएं दिल दहला देने वाली हैं। लेकिन मुझे लगता है कि अगर सिर्फ ‘लव जिहाद’ को ही दोष देना है तो यह एकतरफा भूमिका बन जाती है। तालियां कभी एक हाथ से नहीं बजतीं। अगर आप इन घटनाओं का ठीक से अध्ययन करेंगे तो आपको पता चलेगा कि लव जिहाद का शिकार बनने वाली कई लड़कियां बेहद पढ़ी-लिखी और समझदार थीं। तो उन्होंने प्यार करने से पहले लड़के के बारे में पूछताछ क्यों नहीं की? भले ही प्यार अंधा हो सकता हैं, लेकिन यह लड़किया पढ़ीलिखी तो थी ना! इस उच्च शिक्षा का क्या उपयोग यदि कोई व्यक्ति अपने लिए क्या गलत और क्या सही है यह नहीं समझ सकता? इसके लिए जितनी अपराधी की वैचारिक विकृति जिम्मेदार है, पीड़ित लड़कियों की वैचारिक असक्षमता भी उतनी ही जिम्मेदार है।

सच मे लव जिहाद या फिर कुछ और?

इन घटनाओं को रोकने के लिए किसी धर्म को दोष देने के बजाय देश में महिलाओं को सशक्त बनाना और उनमें जागरूकता पैदा करना बहुत जरूरी है।वास्तव में, “लव जिहाद” संगठन के अस्तित्व का कोई ठोस प्रमाण अभी तक नहीं मिला है। कभी-कभी माता-पिता भी अपने गुस्से या किसके बहकावे में कुछ निर्णय लेते हैं और लव जिहाद के मामले दर्ज करते हैं क्योंकि वे यह स्वीकार नहीं कर पाते कि उनकी बेटी ने दूसरे धर्म के लड़के से शादी की है। राजनेता अपने फायदे के लिए ऐसी बातों को बढ़ावा देते हैं।

ऐसी घटनाएं हर धर्म में कहीं न कहीं होती देखी जाती हैं, इस घटना को धार्मिक मोड़ देना बहुत गलत है। हमारे देश में सभी धर्म एक साथ रहते हैं। धार्मिक विवाद देश में असंतोष ही बढ़ा सकते हैं और इससे बचने के लिए सभी को इस पर सोच-समझकर विचार करने की जरूरत है।

सुहानी ✍️


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