दर्द का हर पहलू
नए सिरे से जुड़ रहा है
मसरूफ भी इतना है
हर राह मे जुड़ रहा है..
असरदार हो या साधारण
अगर चोट लगनी हो तो वो लगेगी
ना मरहम काम आयेगा ना बातें चलेगी…
नहीं है मौका छुटकारा पाने का
ये दर्द हद से ज्यादा है
लगता है जान पे आयेगा…
मजबूर कर दिया है
सोच ने मेरी अब
प्यार मांगू के छीन लू उसे…
मदत नहीं मिल रही
ना सहारा मिल रहा
खाली थी झोली अच्छा था
अब तकलीफ का ठेला मिल गया…
Nice Lines
Thank you for your feedback…