बांटे क्या सबसे

यहां बातें सुनता कौन है

सिर्फ कहना होता है

अपना हाल मतलब से…

जिसने रखा था राबता मुझसे

करीब से देखा है हर उस नस्ल को

मेरी ज़रूरत ख़त्म होने पर

छोड़ दिया इन लोगो ने मुझको…

लिहाज रखा होता हमारे खयालो का

उम्मीद तो ना टूटती

गम बढ़ जाता और थोड़ा मगर

उम्मीद तो ना टूटती…

बात तो ढेर सारी है

कहने को जज़्बात नहीं है

सुनाए किसको यहां सोच मे

गिरे गंदे लोग जो है…

मतलब कि दुनिया में

मतलबी लोग है,

कहीं अपने पराए होते है

कहीं अपने धोका देते है…

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