हर हालात में अपनेआप से
लिपट कर बातें की है
खुदका दर्द खुदके के सिवा
कोई समझे भी कैसे?
समझ मिल जाए
इस वक्त मुझे
लिख दू कुछ अलग
मेरे अकेलेपन से…
रात के गुमसुम शांत मौसम का
आगाज़ भी सुन लिया
ये तराना कुछ यूं सुलझा
मुझमें ही मै सिमट गया…
बेखबर सी हालत है
अंजान खयालों में,
पता तो दे दो उस घर का
जहां सुकून मिले….
वक्त है बेपरवाह आज
ना देखे आगे पीछे कुछ,
बस बीत रहा है
किसी अकेलेपन में आज….
Nice Lines
Thank you for your feedback…